शुक्रवार, 2 जून 2023

History of Asaf Udaula

History of Asaf Udaula

 आसफ उदौला: अहमद खान की मृत्यु के बाद मराठों ने एक बार फिर चड़ाई करने का प्रयास किया। गद्दी पाने के लिए उसके भाई मुर्तजा खान ने बगावत कर दी। दिल्ली का बादशाह शाह आलम को जब पता लगा तो बादशाह 5000 सैनिको और शुजा उडौला और दुसरे सरदारो के साथ मौजा सरायन पहाड़ा पहुंच गया और वहां थाहरा.बख्शी फखरूद-दीन खान ने अहमद खान के पुत्र को हाथी पर बैथल कर शाह आलम बादशाह को दिखाने लाया.शाह आलम ने शाहजादे को अपने सरदारों में शामिल करने के मैं घोषदा की और फरजंद बहादुर का लक-इनायत किया.याही लकब उसके मोहरे पर खुदवाया.3 लाख रूपया नागद वा 7 हाथी और 11 अरबी घोडे बादशाह को नज़र किए गए.बादशाह ने मराठो के हमलों को एनकम कर दिया और सना1771 में मुजफ्फर जे अंग को नवाबी की गद्दी पर बैथैया। नवाब की उमरा इस समय मात्रा 14 साल की थी। हुकुमत के अधिकार बख्शी फखरू-दीन ने बड़ी इमंदारी से निभाए लेकिन परिवार के लोगो ने बगावत कर राखी थी, कुशल प्रबंधन से संप्त कर दिया गया। जब शुजा उदौला शाहाबाद होता हुआ हरदोई जा रहा था जहां ब्रिटिश फौज पड़ी थी जो रहमत खान रोहिल्ला से मुकेबल को जा रहा था.मुजफ्फर खान वहां जा मिला.मौजा कतरा शाहजहांपुर में युद्ध हुआ जहां रहमत खान मारा गया.रहमत खान के सर कलाम कर मुजफ्फर जंग के सैम एनई शिनाख्त के History of Asaf Udaulaलिए लाए गए। बप्सी में मुजफ्फर जंग ट्रेनिंग डेने के लिए ब्रिटिश सैनिक अपने साथ लाए। .याही वो गलति थी जो मुजफ्फर जंग कर गया.उसने बंगश पठानों को निकल बहार किया,उनकी सामत्तिया जप्त कर ली गई और जुल्म किए गए.याही वो टर्निंग प्वाइंट है जहां से" बंगश वंश का पाटन प्रारंभ हो गया"ब्रिटिश हुकूमत की शुरूयत हो गई नवाब ने 1775 में अपना पैत्रिक किला बी ब्रिटिश को सौप दिया जहां छावनी की बुनियाद पड़ी।

गुरुवार, 1 जून 2023

History of Shahabad Hardoi


     History of Shahabad Hardoi 

  जहाँगीरHistory of Shahabad Hardoi की सेवा में भाग्य के सिपाही दरिया खान नामक दाउदज़ाई व्यापारी के पुत्र दलेर ख़ान और बहादुर ख़ान शाहजहाँ की सेना में उच्च पद पर आसीन हुए थे और कालपी और कन्नौज के जागीरदार थे।1647 में डाकुओं ने कांठ में एक खजाने के काफिले को लूट लिया।दलेर खान दाउदजई ने राजपूतों पर हमला किया और उन्हें चीनूर में पराजित किया।इस सफलता पर सम्राट ने दलेर खान को 14 गाँव दिए और उन्हें एक किला बनाने का आदेश दिया।गैररा खीरा नामक स्थान पर गर्रा और खानौत के पास एक स्थान चुना गया था,जहां एक पुराना गुर्जर गढ़ पहले से मौजूद था।दलेर खान ने शाहजहाँन पुर में दलेरगंज और बहादुर गंज के मुहल्लों की स्थापना की।शाहजहाँपुर नामा या 1839 में लिखे गए अनार - उल बहर नामक पुस्तक के अनुसार दलेर खान ने अंगनी खेरा के पांडे परवर डाकुओं को उखाड़ फेंका।1679 में जंघारा और कटेहरी में विद्रोह बढ़ गए जिसके परिणामस्वरूप पूरा रोहिलखंड अराजकता की स्थिति में आ गया।1680 ई में शाहजहाँ ने गद्दी सम्भाली और दलेर खान को शाहजहाँपुर में विद्रोह दबाने के लिए भेजा गया।दलेर खान ने बाद में हरदोई में शाहाबाद की स्थापना की जहां उनके वंशज अभी भी निवास करते हैं।शाहाबाद उत्तर मुगल काल में अवध सूबे का एक प्रमुख नगर था।भारत पर लिखने वाले सबसे पहले यूरोपीय भूगोलवेत्ताओं में से एक जोसेफ टाइफेंथेलर ने 1770 में इस शहर का दौरा किया था और इसे काफी सर्किट वाला शहर बताया था,बीच में ईंटों के एक महल के साथ एक किले की तरह टॉवरों को मजबूत किया,एक बरोठा और एक कवर के साथ कालनाड।यह महल बडी देहरी के नाम से जाना जाता था।हालांकि महल अब मौजूद नहीं है,दो भव्य द्वार अभी भी खड़े हैं।नवाब दलेर खान ने जामा मस्जिद और अपना मकबरा भी बनवाया ।उन्होंने मकबरे के पास एक भव्य तालाब भी बनवाया,जिसे नर्बदा के नाम से जाना जाता है।1824 में कलकत्ता के बिशप रेजिनाल्ड हेबर ने शाहाबाद की यात्रा की और इसे "काफी कस्बों या लगभग शहर के साथ किलेबंदी और कई बड़े घरों के रूप में वर्णित किया"।नवाब दलेर खान दाउदजई के वंशज भी पास के एक इलाके में चले गए जो जमींदारी के तहत था और इस जगह का नाम वजीराबाद था जिसे अब गांव हर्रई के नाम से जाना जाता है।

History of Asaf Udaula

  आसफ उदौला: अहमद खान की मृत्यु के बाद मराठों ने एक बार फिर चड़ाई करने का प्रयास किया। गद्दी पाने के लिए उसके भाई मुर्तजा खान ने बगावत कर दी...